Read this also: दरअसल, अल्पसंख्यक वर्ग के कल्याण व उत्थान के लिए रोजगार में मदद को कई प्रकार की योजनाएं चलती है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा बेरोजगार लोगों को रोजगार-धंधा संचालित करने के लिए लोन के रूप में आर्थिक मदद करता है। साल 1995 से 2005 के बीच इन योजनाओं के तहत विभाग ने करीब सवा छह सौ लोगों को लोन बांटे थे। इसके पीछे मंशा यह थी कि लोन लेकर रोजगार करने वाला व्यक्ति लोन को किश्त में चुका देगा। अल्पसंख्यक विभाग के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो 602 लोगों को दो करोड़ 98 लाख रुपये के आसपास लोन की राशि के रुप में वितरित की गई।
यह भी पढ़ेंः पुलिस की पांच-पांच टीमें खोजती रहीं और युवक को गोली मारने वाले उद्योगपति के गार्ड ने थाने पहुंच कर दिया सरेंडर विभागीय सूत्र बताते हैं कि कुछ ने तो लोन की किश्त चुकाने में ईमानदारी दिखाई लेकिन अधिकतर ने किश्त देने में कोई रुचि नहीं दिखाई। आलम यह कि करीब तीन करोड़ की यह धनराशि आठ करोड़ से अधिक हो चुकी है। हालांकि, समय समय पर वसूली दिखाने के लिए कुछ धनराशि वसूली भी की गई है। जानकारी के मुताबिक सवा आठ करोड़ की बकाया धनराशि में सवा करोड़ रुपये अल्पसंख्यक विभाग वसूला है। सबसे मजे की बात तो यह कि लोन लेने वालों के बहुत लोगों का पता-ठिकाना तक बदल चुका है। विभाग के पास ऐसे लोगों को खोजना भी एक चुनौती वाला काम है।